थे जो कभी मेरे अपने, उनसे मैंने मेरे लिए , बदुआ सुनी तो मुस्कुरा दी आखिर यह मुट्ठी भर लोगों की बदुआ कैसे जीतेगी , मेरे लिए हजारों दुआ करने वालों से ।