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लगता है दर्द भूलना तो,  किस्मत में ही ना लिखाया , 

लगता है दर्द भूलना तो, 
किस्मत में ही ना लिखाया , 

जब एक से खाया धोखा, 
फिर दूसरे को दिया मौका,
एक ने जवानी भर रुलाया, 
दूजे ने बुढ़ापे की तोड़ दी काया ।

जब सालों बाद लगा 
जीवन ऐसे ही जलते रहना है,
अब इनकी उम्मीदों को तो, 
ऐसे ही खलते रहना है,

तब एक ने दिखा कर आसमा, 
दूजे ने ज़मीं पर भी घर ना बिठाया ।

लगता है दर्द भूलना तो, 
किस्मत में ही ना लिखाया , 
तनहा जब एक ही ज़िंदगी, 
जीने का किया समझौता, 

तो एक ने दी दरवाजे पर दस्तक, 
दूजा दरवाजा तोड़ चला आया ।
लगता है दर्द भूलना तो, 
किस्मत में ही ना लिखाया ।


तन्हा शायर हूँ-यश 







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©Tanha Shayar hu Yash
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