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ज़िन्दगी की दौड़ । (Story in caption) वहीं रोज़ाना क

ज़िन्दगी की दौड़ ।

(Story in caption) वहीं रोज़ाना की घर से ऑफिस,ऑफिस से घर की दौड़ । 

शाम के 6 बज चुके थे, सभी लोग जाने लगे थे। बॉस ने फ़ोन कर के कहा, मेरे केबिन में आना। मन मानो कह रहा था अब और काम नहीं, पर उदास मन से में उठा और केबिन की और बढ़ा। कुछ में कह पाता बॉस को उससे पहले ही बॉस ने सवालों के ढ़ेर लगा दिये, जिनके जवाब देते देते कब घड़ी में 8 बज गए पता ही नहीं चला। 

सोचा था आज जल्दी जाऊँगा मगर बॉस ने वो भी नही होने दिया। खैर जैसे ही आफिस से निकल कर बस में बैठ सुखून की हवा खिड़की से आई ही थी की बॉस का कॉल आ गया कहा मुझे सुबह सभी प्रॉजेक्ट की बातें मेल कर देना।

मेरे इस किरदार को न जाने कितने लोग रोजाना जीते हैं। इस दौड़ में न जाने कहाँ भाग रहे हैं। सोचता हूँ क्या वो पल ज़िन्दगी का हसीन होगा जब यह दौड़ नहीं होगा। इतना में मेरे बगल वाली सीट पर एक बुज़ुर्ग आ कर बैठे।
ज़िन्दगी की दौड़ ।

(Story in caption) वहीं रोज़ाना की घर से ऑफिस,ऑफिस से घर की दौड़ । 

शाम के 6 बज चुके थे, सभी लोग जाने लगे थे। बॉस ने फ़ोन कर के कहा, मेरे केबिन में आना। मन मानो कह रहा था अब और काम नहीं, पर उदास मन से में उठा और केबिन की और बढ़ा। कुछ में कह पाता बॉस को उससे पहले ही बॉस ने सवालों के ढ़ेर लगा दिये, जिनके जवाब देते देते कब घड़ी में 8 बज गए पता ही नहीं चला। 

सोचा था आज जल्दी जाऊँगा मगर बॉस ने वो भी नही होने दिया। खैर जैसे ही आफिस से निकल कर बस में बैठ सुखून की हवा खिड़की से आई ही थी की बॉस का कॉल आ गया कहा मुझे सुबह सभी प्रॉजेक्ट की बातें मेल कर देना।

मेरे इस किरदार को न जाने कितने लोग रोजाना जीते हैं। इस दौड़ में न जाने कहाँ भाग रहे हैं। सोचता हूँ क्या वो पल ज़िन्दगी का हसीन होगा जब यह दौड़ नहीं होगा। इतना में मेरे बगल वाली सीट पर एक बुज़ुर्ग आ कर बैठे।