न सिख्ख, न ईसाई, न हिंदू-मुसलमान होते,
कितना अच्छा होता हम एक हिंदुस्तान होते।
न स्वार्थी सियासतें पनपती हमारी रोटियों पर,
ध्वजा भी एक ही होता हर हिमालई चोटियों पर
न गैर कहते हम किसी को न खराब अरमान होते,
कितना अच्छा होता हम एक हिंदुस्तान होते।।
होती न जनसंख्यावृद्धि न लड़ते बेरोजगारी से,