Nojoto: Largest Storytelling Platform

वो नादां नासमझ देता रहा मुझे तमाम उम्र ताने, ऐ बे

वो नादां नासमझ देता रहा मुझे तमाम उम्र  ताने,
ऐ बेख़बर!
आईने पर धूल चढ़ा कर भला कोई सच को कैसे माने।। #post252 #अंकितशर्माबेख़बर
वो नादां नासमझ देता रहा मुझे तमाम उम्र  ताने,
ऐ बेख़बर!
आईने पर धूल चढ़ा कर भला कोई सच को कैसे माने।। #post252 #अंकितशर्माबेख़बर