बड़े दिनों बाद मिले हो रुको, रात गुज़ार कर जाओ मेरे अहबाब, मेरे मुंसिफ बनो मेरी हर गलती सुधार कर जाओ बरहना-पा खड़ी हूँ ख़ारज़ार में कोई ईफ़रीत है आज उतार कर जाओ आह-हो-ज़ारी में मुझे लगे जो अच्छा गोश तरस गए कुछ ऐसा पुकार कर जाओ मुनासिब लगे मुझे हर फ़ेल-ए-बद फिर जाने से पहले कुछ ऐसा खुमार कर जाओ बे-पनाह मोहब्बत का कभी इख़्तिताम न हो मेरी आखिरी ये पूरी गुहार कर जाओ बड़े दिनों बाद मिले हो 'दीपक' रुको, रात गुज़ार कर जाओ ©Deepak Goyal #datingthepoet #deepakgoyal #Raat #Romantic #Poetry #Shayar #urdu #Silent