क्या ख़बर।। क्या खबर तू आये न आये, क्या खबर जान जाए न जाये। गीत अपने गुनगुनाता हूँ मैं, क्या खबर तू गाये न गाये। सबकी नजरें नहीं सुहाता हूँ मैं, क्या खबर तू भाये न भाये। ख़्वाबों में तुझको लाता हूँ मैं, क्या खबर तू लाये न लाये। यादों को बादल बनाता हूँ मैं, क्या खबर तू छाये न छाये। तुझसे जुदा ग़म खाता हूं मैं, क्या खबर तू खाये न खाये। लिख खत तुझे लजाता हूँ मैं, क्या खबर तू पाये न पाये। खुद पे कहर भी ढाता हूँ मैं, क्या खबर तू ढाये न ढाये। ©रजनीश "स्वछंद" क्या ख़बर।। क्या खबर तू आये न आये, क्या खबर जान जाए न जाये। गीत अपने गुनगुनाता हूँ मैं, क्या खबर तू गाये न गाये।