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अपूर्ण से परिपूर्ण की परिभाषा है जो सूर्योदय की अ

 अपूर्ण से परिपूर्ण की परिभाषा है जो
सूर्योदय की अभिलाषा है वो
ना दिन का उजाला, ना मधुर संगीत कोयल का
अपितु कोमल हृदय की संभाषा है वो
अपूर्ण से परिपूर्ण की परिभाषा है वो.....
ना किलकारी शिशु की, ना रुदन है 
अपनो का आस्तित्व है वो
मात-पिता का नन्हा सा प्रलंबन है
ना पग में हल-चल , ना बाजुओं में बल है
मगर जिंदगी की भाग दौड़ का वजूद प्रबल है
कही दुनिया की खिल्ली, कहीं अपनो मे ही उपहास का पात्र है
है केंद्रित वो लक्ष्य की और, सब उपहास अणुमात्र है।
अपूर्ण से परिपूर्ण की परिभाषा है वो....
सूर्योदय की अभिलाषा है वो......

©PRIYANSHI MITTAL
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