Ink and Pain बहुत दिनों बाद, दद॔, कलम और स्याही, लिए बैठें है, दिल में एक दुख भरी कहानी, लिए बैठें हैं। आज ये छोटा सा कागज़ का टुकड़ा, बहुत बोझ उठाएगा, एक रंजीदा फसाना, अरसे बाद, ये दौहराएगा। आज़माना है, आज तो, अपनी कलम और स्याही, का दम, दद॔ ना बहेगा मेरी आँखों से, पर दूसरों की आँखे ज़रूर होंगी आज नम। शायद ये फसाना, हमारे दिल को छोड़, नया ठिकाना बनाएगा, चाहे थोड़ा ही सही, कुछ पल के लिए ही सही, दिल थोड़ा तो सुकून पाएगा। #दद॔