किसी भी चीज की जब कमी नहीं है, फिर क्यों बेघर के लिए ज़मी नहीं है! रंग बदलने लगते हैं अक्सर रिश्तों में, आसमान तो होता है, पर ज़मी नहीं है! अब तो मौज किए जैसे अर्से बीते हैं, बहने को दरिया है बहुत, ज़मी नहीं है! उसके चेहरे के नक़्शे से बनाई तस्वीरें लकीरें है अब, काग़ज़ की ज़मी नहीं है! नींद आए जब तो , सोये कैसे 'कुमार', बिस्तर है, बिछौना है, पर ज़मी नहीं है! ज़मी नहीं है..! उदास होने का हम को सलीक़ा आता है उदासियों को कभी हम उदास करते नहीं #kumaarsthought #ज़मी #yqdidi #yqhindi #yqhindishayari #उदास #काग़ज़