ज़ेहन हैं उलझा, आंखें हैं भारी सी.. बदलते मौसम के मिजाज में सपने आये कुछ ख्बाब में... सोचा बुनूं एक स्वेटर, उम्मीदों की सिलाईयों पर कुछ फंदे सीधे , कुछ उल्टे डालूंगी.. तेरी उलझनों को सुलझा डालूंगी.. पहन लेना तुम उस बुनाई को ख्बाब में ही सही, ओढ़ लेना मेरी दुआओं की गरमाई को.... शायद तुम्हारे कुछ काम आ जाये, उलझी राहों में थोड़ा विश्राम आ जाये. #उलझनें #स्वेटर #सिलाईयां # देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुये,दूर तक निगाहों में है गुल खिले हुये... #yqdiary #yqdidi #yqthoughts #yqlife #tulikagarg