कान्हा तेरी नगरी में कलयुग की प्रदर्शनी देखी है नाला नाली खूनी पड़े हैं बदबू पहरा देती है पॉलिथीन ने करके कब्जा सीवेज विस्तारा है चिप्स कुरकुरे बिस्कुट नमकीन के रैपर ने पैर पसार आ है भीख मांगते नन्हे बच्चे मन के सच्चे होते हैं रूप तेरा होते हैं फिर मथुरा में क्यों रोते हैं जमुना घाट पर जाकर देखो भक्तों में बड़ी भक्ति है दीपदान सब करते हैं और घाट पर कचरा भरते हैं नगर निगम के आस भरोसे बैठा हर इंसान हैं खुद का कचरा साफ करो बस यही भक्ति का ज्ञान है सुंदर नगरी सुंदर सांसद सुंदर बांके बिहारी हैं फिर सुंदर मन से हेमा जी ने नगरी क्यों नहीं निहारी है कबीर रहीम ने देखी ब्रज में खुशबू धूल गुलाल काली कन्हैया काली नगरी पर मैं गुस्से से लाल। जब मेरे जीवन सांसो का ठाकुर जी था में डोरा है फिर हाल तेरी नगरी का अब तुझ पर ही छोड़ा है। कान्हा तेरी नगरी में कलयुग की प्रदर्शनी देखी है नाला नाली खुले पड़े हैं बदबू पहरा देती है। मैं कृष्ण प्रिया नम्रता शुक्ला कुछ समय पहले मथुरा वृंदावन जाना हुआ और यह पंक्तियां यूं ही हृदय से आहत होकर निकल पड़े क्या हम सबकी जिम्मेदारी नहीं की अपने शहर के साथ साथ हर तीर्थ स्थान पर भी सफाई का पूरा ध्यान दिया जाए धन्यवाद यह कविता स्वाभाविक स्वतः परिस्थितियों को देखते हुए मेरे अंतर्मन से उत्पन्न हुई पसंद आई यह इंपॉर्टेंट नहीं पर विचार कर सकते हैं की तीर्थ स्थानों पर क्या नजर आ रहा है।