हो तरकश में तीर बहुत थे, पर जो तीर आके दिल में लगा,उसके जख़्म कुछ और ही थे, और हम उन जख्मों के इलाज़ से ज़्यादा उनके दर्द में मदहोश थे... Dard ka maza.....