किस्मत कुतर रही है जिन्दगी को मेरी ख्वाहिशों की चादर के सुराख दिखने लगे हैं... खाली हथेली को कभी गौर से देखो मेरी किस तरह लोग लकीरों से निकलने लगे हैं... जो सुनते थे कभी गौर से बातें मेरी अब उनकी आँखों मे हम खटकने लगे हैं... रोने पर जो कभी पोंछते थे आंसू मेरे मेरे गमों पर अब वो भी हंसने लगे हैं... #किस्मत_की_लकीरें #फूटीकिस्मत #लोग_और_वक्त #बदलते_लोग #yqbaba #yqdidi