यहाँ जो कह रहे हैं हम कभी मंदिर नही जाते, कोई ख़्वाजा कोई दरग़ा मेरे मन को नही भाते। किसी ईशा से अपना वास्ता क्या हम तो मुल्हिद हैं, ये सब पाखंड हैं मन के कोई ईश्वर नही आते।। उन्हें मैं कह रहा हूँ, वो तज़ुर्बे को मेरी सुन लें, अपने काफ़िर से इस दिल मे ज़रा इस बात को गुन लें। कि, पूजोगे तुम इक़ दिन पत्थरों को भी ख़ुदा कह कर, तुम्हारे हक़ में भी इक़ प्यार का तोहफ़ा ख़ुदा दे दे।।" ©Realstic Arya Love n God, the real bond of heart....❤️