चार पल रहते जिंदगी ने चंद गुजारिश की थी हमसे, की चंद लम्हे गुजारने के लिए गुजारिश मत करो किसी से, जियो उसी में शान से, जो खुदा ने तुम्हे दिए हैं ख़ुशी से ये जो जिंदगी अमानत है, परमात्मा-रूपी ! माँ-बाप की किसी और के नाम करके खयानत मत करो उसी से ||| ~~~Gओविंद यार....वो जो अपने अंदर है ना वो सब पहले ही समझाता है, उसकी सुना तो करो।।