मेरे गमों को और गमगीन न कर मीठी यादों को नमकीन न कर न पिघला जख्मों को अपनी गर्मी से पनाह न ल मेरी इन आँखों में अक्स धुँधला जाते है ए अश्क तुझसे खुशी के कई नकाब ओढ़ रखे हैं मैंने, खुदाया निहा-ए-जख्मों की यूँ तहरीर न कर पारुल शर्मा #gif मेरे गमों को और गमगीन न कर मीठी यादों को नमकीन न कर न पिघला जख्मों को अपनी गर्मी से पनाह न ल मेरी इन आँखों में अक्स धुँधला जाते है ए अश्क तुझसे खुशी के कई नकाब ओढ़ रखे हैं मैंने, खुदाया निहा-ए-जख्मों की यूँ तहरीर न कर। पारुल शर्मा