लौ बुझा के रात में अंधेरा तूने कर दिया, जुगनू बन के तम को मैं निगल के आगे बढ़ गया। इमारतों में कैद करके हो तो तू सफल गया, मन की कैद तोड़कर मैं कैद में भी मुक्त था। रास्तों में शूल का बिछौना भी बिछा दिया, उन्हें भी पार करके मैंने फूलों में बदल दिया। मित्र बनके शत्रु जैसे जख्म तूने जो दिया, उसका पाठ पढ़के मैंने अनुभवों में गिन लिया। कृतज्ञ हूं मैं आईना सच का जो दिखा दिया, मुश्किलों में घेरकर विजयी मुझे बना दिया। मित्र सदृश शत्रु #experience #lifelessons #grateful #cheerstolife 🤘🤘🙏🙏