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मिरी ज़बान के मौसम बदलते रहते हैं, मैं आदमी हूँ  म

मिरी ज़बान के मौसम
बदलते रहते हैं,
मैं आदमी हूँ  मिरा ए'तिबार मत करना...

-आसिम वास्ती #NojotoQuote कुछ बातें इतनी सरल और सीधे तरीके से समझ आ जातीं हैं कि किसी सबूत, गवाह या उदाहरण पेश किए बिना भी उस बात को एक ऐसे मुक़ाम पर पहुँचाया जा सकता है जहाँ से उसे गलत साबित करना किसी के बस की बात नहीं...उन्ही में से एक है -

मिरी ज़बान के मौसम बदलते रहते हैं, 
मैं आदमी हूँ  मिरा ए'तिबार मत करना...

-आसिम वास्ती

क्या ख़ूब कहा है इन जनाब ने, वाक़ई कुछ लोगों का क़लम थाम लेना लगता है जैसे ख़ुदा ने ख़ुद सच्चाई लिखने फ़रिश्ता भेजा है...
मिरी ज़बान के मौसम
बदलते रहते हैं,
मैं आदमी हूँ  मिरा ए'तिबार मत करना...

-आसिम वास्ती #NojotoQuote कुछ बातें इतनी सरल और सीधे तरीके से समझ आ जातीं हैं कि किसी सबूत, गवाह या उदाहरण पेश किए बिना भी उस बात को एक ऐसे मुक़ाम पर पहुँचाया जा सकता है जहाँ से उसे गलत साबित करना किसी के बस की बात नहीं...उन्ही में से एक है -

मिरी ज़बान के मौसम बदलते रहते हैं, 
मैं आदमी हूँ  मिरा ए'तिबार मत करना...

-आसिम वास्ती

क्या ख़ूब कहा है इन जनाब ने, वाक़ई कुछ लोगों का क़लम थाम लेना लगता है जैसे ख़ुदा ने ख़ुद सच्चाई लिखने फ़रिश्ता भेजा है...
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