बेहतरवां जन्मदिन है आज़ादी का, इस बार कुछ हटकर मनाओ यारो ! लहू से अपने संजोए थे क्रांतिवीरों ने, वो ख़्वाब पूरे कर दिखाओ यारो ! अंग्रेजों से तो छुटकारा पा लिया, अब सियासी भेड़ियों को भी मिटाओ यारो ! ये आज़ादी तो बूढ़ी हो गई अब, फिर से एक नई आज़ादी लाओ यारो ! ज़ुल्म महिलाओं ने बहुत सह लिये, अब माँ, बहन, बेटी का मान बढ़ाओ यारो ! घर - घर में इस बार तुम भी, अपनी माँ से तिरंगा फहराओ यारो ! बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ ये नारा तो दे दिया, अब इसे अम्ल में भी लाओ यारो ! छेड़छाड़, तेजाबफेंक और बलात्कारी, इन सबकी गन्दी मानसिकता मिटाओ यारो ! ना ज़ुल्म करेंगे ना ही सहेंगे, इस बार ये नारा लगाओ यारो ! मन की गुलामी में है बेचारि, आत्मा को आज़ाद करवाओ यारो ! ये ज्ञान और संस्कृति की धरा है, देख पशिचमी ना इसे मिटाओ यारो ! ऋषि, मुनियों और कुदरत ने बहुत दिया हमें, उसका शुक्र मनाओ यारो ! दुश्मनों से लड़ने की जरूरत नही, हिन्दू-मुस्लिम एक हो जाओ यारो ! पाक तो क्या चीन भी गीदड़ बन भागेगा, इक बार बनके केसरी गुर्राओ यारो ! "प्रेम" ने तो सुना दी व्यथा देश की, अब तुम कुछ कर दिखलाओ यारो ! अपने इस आज़ाद भारत को, फिर से आज़ाद करवाओ यारो ! ये आज़ादी बूढ़ी हो गई अब, एक नई आज़ादी लाओ यारो !! 12-8-2018 P.k. Shayar सँगरिया(राजस्थान) बेहतरवां जन्मदिन है आज़ादी का, इस बार कुछ हटकर मनाओ यारो ! लहू से अपने संजोए थे क्रांतिवीरों ने, वो ख़्वाब पूरे कर दिखाओ यारो ! अंग्रेजों से तो छुटकारा पा लिया, अब सियासी भेड़ियों को भी मिटाओ यारो ! ये आज़ादी तो बूढ़ी हो गई अब, फिर से एक नई आज़ादी लाओ यारो ! ज़ुल्म महिलाओं ने बहुत सह लिये, अब माँ, बहन, बेटी का मान बढ़ाओ यारो !