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यादों की सीलन आई उभरकर फिर एक बार मन की दीवारों पर

यादों की सीलन आई उभरकर फिर एक बार
मन की दीवारों पर,
छोड़ गई फिर से नमी नैनों के गलियारों में,
उन गलियारों के किनारों पर बारिश के बाद की काई सी जम गई थी सालों पहले,
वक़्त की धूप में अब सूख कर उखड़ ही रही थी कि
फिर हरी हो गई ज़ख्म सी... #traveldiaries 
#traintravel 
#यादें 
#सीलन 
#काई 
#weirdthoughts
यादों की सीलन आई उभरकर फिर एक बार
मन की दीवारों पर,
छोड़ गई फिर से नमी नैनों के गलियारों में,
उन गलियारों के किनारों पर बारिश के बाद की काई सी जम गई थी सालों पहले,
वक़्त की धूप में अब सूख कर उखड़ ही रही थी कि
फिर हरी हो गई ज़ख्म सी... #traveldiaries 
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vibhakatare3699

Vibha Katare

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