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जन्मदिन- मेरा जन्मदिन कभी धूम धाम से नहीं मनाया ग

जन्मदिन-

मेरा जन्मदिन कभी धूम धाम से नहीं मनाया गया घर में ऐसा कुछ प्रचलन भी नहीं है। जबसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल शुरू हुआ शुभकामनाएं आने लग गईं और हम "बर्थडे" मनाने लगे। इससे पहले आधे सावन नागपंचमी के बाद जो छठ आती है इसबार ( 26 जुलाई ) उस दिन अपनी दुकानों पर दाल बाटी चूरमा बना कर सबको खिलाते थे। जबसे दोस्तों ने मनाना शुरू किया तो ग़ज़ब ही हो गया। डीजे, दारू, बीयर, केक, और पार्टी के नाम पर नंगा नाच। ऐसा सिर्फ मेरे साथ ही नहीं हुआ हर उस व्यक्ति के साथ हुआ जो दोस्तों या सोशल मीडिया पर यह जताने के लिए बर्थडे मनाते हैं कि हमने पार्टी दी। मैं भी इस उन्माद में शरीक हुआ लेकिन मुझे ये रास नहीं आया तो बेकार की पार्टी और हो हल्ला से निकल कर अपना जन्मदिन अकेले मनाने लगा। 2015 में अक्षरधाम मंदिर जयपुर,2016 कालिका देवी चित्तौड़गढ़, 2017,को जैसलमेर बॉर्डर पर सैनिकों के साथ। 2018 में देहली भाई की शादी में मुझे तो तब पता चला जब 12 बजते ही शुभकामनाएं आने लगीं। इसी तरह पिछली साल कोटा के सेवन वंडर गार्डन में मानने का मौका मिला। इसबार की अभी तक कोई पता नहीं मनाऊँगा भी या नहीं।
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जन्मदिन मनाने का कारण जो भी हो पर मुझे लगता है कि - अब तक के जीवन में हमने क्या किया? उसका अवलोकन करने के लिए मनाया जाए। क्या खोया क्या पाया? उसका विश्लेषण होना चाहिए। यहाँ से आगे का जीवन कैसा हो? कुछ नए बदलाब की जरूरत हो तो किए जायें जिससे जीवन सहजता को प्राप्त हो और हम सुखी हो सकें। दुनिया में शिक्षा, कैरियर, व्यापार, या अन्य कोई भी कार्य इंसान सुख प्राप्त करने के लिए ही करता है। लेकिन हम क्षणिक सुख में सब भूल जाते हैं और पार्टी के बाद रोते हैं दोस्तों को कोसते हैं। दोस्त भी हँसी मज़ाक़ में सब भूल जाते हैं। आजकल हर बात का प्रचार या प्रदर्शन करना आम बात है -- जन्मदिन पर पेड़ लगा दिए क़माल कर दिया बाद में पता चला पेड़ों को पशु खा गए। 😁🙏 जो कुछ भी करो पूरे मन से करो और आने वाले अगले जन्मदिन तक उसकी देखभाल का जिम्मा भी लो। पार्टी देनी है तो शैक्षणिक भ्रमण कराओ। अपनी संस्कृति और सामाजिक तानेबाने से रूबरू हो। पढ़े लिखे युवा जो फिलहाल किसी एग्जाम या कम्पटीशन की तैयारी में जुटे हैं शिक्षा से वंचित बच्चों को सहारा दो। तो मैं समझूँगा कि जन्मदिन मनाना सार्थक हुआ।
🙏🍮🙏🍹🍮🙏 #पाठकपुराण
जन्मदिन-

मेरा जन्मदिन कभी धूम धाम से नहीं मनाया गया घर में ऐसा कुछ प्रचलन भी नहीं है। जबसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल शुरू हुआ शुभकामनाएं आने लग गईं और हम "बर्थडे" मनाने लगे। इससे पहले आधे सावन नागपंचमी के बाद जो छठ आती है इसबार ( 26 जुलाई ) उस दिन अपनी दुकानों पर दाल बाटी चूरमा बना कर सबको खिलाते थे। जबसे दोस्तों ने मनाना शुरू किया तो ग़ज़ब ही हो गया। डीजे, दारू, बीयर, केक, और पार्टी के नाम पर नंगा नाच। ऐसा सिर्फ मेरे साथ ही नहीं हुआ हर उस व्यक्ति के साथ हुआ जो दोस्तों या सोशल मीडिया पर यह जताने के लिए बर्थडे मनाते हैं कि हमने पार्टी दी। मैं भी इस उन्माद में शरीक हुआ लेकिन मुझे ये रास नहीं आया तो बेकार की पार्टी और हो हल्ला से निकल कर अपना जन्मदिन अकेले मनाने लगा। 2015 में अक्षरधाम मंदिर जयपुर,2016 कालिका देवी चित्तौड़गढ़, 2017,को जैसलमेर बॉर्डर पर सैनिकों के साथ। 2018 में देहली भाई की शादी में मुझे तो तब पता चला जब 12 बजते ही शुभकामनाएं आने लगीं। इसी तरह पिछली साल कोटा के सेवन वंडर गार्डन में मानने का मौका मिला। इसबार की अभी तक कोई पता नहीं मनाऊँगा भी या नहीं।
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जन्मदिन मनाने का कारण जो भी हो पर मुझे लगता है कि - अब तक के जीवन में हमने क्या किया? उसका अवलोकन करने के लिए मनाया जाए। क्या खोया क्या पाया? उसका विश्लेषण होना चाहिए। यहाँ से आगे का जीवन कैसा हो? कुछ नए बदलाब की जरूरत हो तो किए जायें जिससे जीवन सहजता को प्राप्त हो और हम सुखी हो सकें। दुनिया में शिक्षा, कैरियर, व्यापार, या अन्य कोई भी कार्य इंसान सुख प्राप्त करने के लिए ही करता है। लेकिन हम क्षणिक सुख में सब भूल जाते हैं और पार्टी के बाद रोते हैं दोस्तों को कोसते हैं। दोस्त भी हँसी मज़ाक़ में सब भूल जाते हैं। आजकल हर बात का प्रचार या प्रदर्शन करना आम बात है -- जन्मदिन पर पेड़ लगा दिए क़माल कर दिया बाद में पता चला पेड़ों को पशु खा गए। 😁🙏 जो कुछ भी करो पूरे मन से करो और आने वाले अगले जन्मदिन तक उसकी देखभाल का जिम्मा भी लो। पार्टी देनी है तो शैक्षणिक भ्रमण कराओ। अपनी संस्कृति और सामाजिक तानेबाने से रूबरू हो। पढ़े लिखे युवा जो फिलहाल किसी एग्जाम या कम्पटीशन की तैयारी में जुटे हैं शिक्षा से वंचित बच्चों को सहारा दो। तो मैं समझूँगा कि जन्मदिन मनाना सार्थक हुआ।
🙏🍮🙏🍹🍮🙏 #पाठकपुराण