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रात तो उसकी जैसे तैसे कटी भोर हुई वो तैयार हुई औ

रात तो उसकी जैसे तैसे कटी 
भोर हुई वो तैयार हुई 
और निकल पड़ी सज धज के  
अपने मांझी की खोज  में
जब से उसको पता चला है
कि मांझी रोज उसके लिए बांसुरी 
बजाते बजाते बावला हो गया है 
अजीब प्रीत है उसकी भी
जब साथ था 
तब कुछ कह नहीं पाया
जब वो चली गयी 
तो पागलों सा ढूढ़ता फिर रहा
_by @Karishma rathore #प्रीत_अनूठी
रात तो उसकी जैसे तैसे कटी 
भोर हुई वो तैयार हुई 
और निकल पड़ी सज धज के  
अपने मांझी की खोज  में
जब से उसको पता चला है
कि मांझी रोज उसके लिए बांसुरी 
बजाते बजाते बावला हो गया है 
अजीब प्रीत है उसकी भी
जब साथ था 
तब कुछ कह नहीं पाया
जब वो चली गयी 
तो पागलों सा ढूढ़ता फिर रहा
_by @Karishma rathore #प्रीत_अनूठी