न जाने क्यूँ 5 HKS.1920/2019 मेरे नंदलाला एक बात बता तू है या बस है नाम तेरा, एक बात कहूँ इस दुनिया मे लोगो ने बहुत झुटलाया है, फिर भी न जाने क्यूँ मुझको एक आस है तेरे आनें की, तेरी दी जीवन नौका में मैं बन सवार अब बैठ गया, या तो डुबा या पार लगा ये है सब मर्जी तेरी, एक सत्य कहूँ ऐ नंदलाला मुझे आस नहीं अब जीने की फिर भी न जाने क्यूँ लगता तू आयेगा मुझसे मिलने...... my lord krishna poetry