*दहेज़* हे लोभी मानव बस कर अब, तू क्यों मोल पाप से कर रहा, लहू नारी का पी करके, क्यूं अपना घर तू भर रहा। पूरी कविता 👇👇👇 *दहेज़* हे लोभी मानव बस कर अब, तू क्यों मोल पाप से कर रहा, लहू नारी का पी करके, क्यूं अपना घर तू भर रहा। विवाह के पावन बंधन को,