Nojoto: Largest Storytelling Platform

*दहेज़* हे लोभी मानव बस कर अब, तू क्यों मोल पाप स

*दहेज़*

हे लोभी मानव बस कर अब,
तू क्यों मोल पाप से कर रहा,
लहू नारी का पी करके,
क्यूं अपना घर तू भर रहा।

पूरी कविता

👇👇👇 *दहेज़*

हे लोभी मानव बस कर अब,
तू क्यों मोल पाप से कर रहा,
लहू नारी का पी करके,
क्यूं अपना घर तू भर रहा।

विवाह के पावन बंधन को,
*दहेज़*

हे लोभी मानव बस कर अब,
तू क्यों मोल पाप से कर रहा,
लहू नारी का पी करके,
क्यूं अपना घर तू भर रहा।

पूरी कविता

👇👇👇 *दहेज़*

हे लोभी मानव बस कर अब,
तू क्यों मोल पाप से कर रहा,
लहू नारी का पी करके,
क्यूं अपना घर तू भर रहा।

विवाह के पावन बंधन को,