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कितना गज़ब तिरा हुस्न-ओ-शब़ाब लगता है, दिलों का क़

कितना गज़ब तिरा हुस्न-ओ-शब़ाब लगता है,
दिलों का क़ातिल इशारा लाज़बाव लगता है।

ख़ामोश हो गई देखकर  कागज़-कलम मेरी,
ख़ुदा को भेजे हर ख़त का ज़बाब लगता है।

तुम हो तो खुबसूरत सा होता है जहां सारा,
ना हो ग़र ऐश-ए-जन्नत भी ख़राब लगता है।

मुंह फेर लो तो जां अटक जाती है हलक में,
मुस्कुरा कर नज़रें झुकाना आदाब लगता है।

खुदा इतना मेहरबां भी नहीं मुझ पे इसलिए,
तुम्हारा करीब होना भी हसीं ख्वाब लगता है।

आता है जो दरम्यान हमारे किस्सा-ए-'रकीब',
हमें अक्सर हड्डियों में फंसा कबाब लगता है। #NojotoJaipur #NojotoJaipurOpenMic #Ghazal #Love #Nojoto
कितना गज़ब तिरा हुस्न-ओ-शब़ाब लगता है,
दिलों का क़ातिल इशारा लाज़बाव लगता है।

ख़ामोश हो गई देखकर  कागज़-कलम मेरी,
ख़ुदा को भेजे हर ख़त का ज़बाब लगता है।

तुम हो तो खुबसूरत सा होता है जहां सारा,
ना हो ग़र ऐश-ए-जन्नत भी ख़राब लगता है।

मुंह फेर लो तो जां अटक जाती है हलक में,
मुस्कुरा कर नज़रें झुकाना आदाब लगता है।

खुदा इतना मेहरबां भी नहीं मुझ पे इसलिए,
तुम्हारा करीब होना भी हसीं ख्वाब लगता है।

आता है जो दरम्यान हमारे किस्सा-ए-'रकीब',
हमें अक्सर हड्डियों में फंसा कबाब लगता है। #NojotoJaipur #NojotoJaipurOpenMic #Ghazal #Love #Nojoto