^ !! मैं रँगीली अलबेली सी, पिता की लाडली, पता है आज पिता जी ने मुझे एक सतरंगी छतरी दिया, बारिश भी तो बहुत हो रही है ना, मैं अपनी प्यारी छतरी को ताने, बेपरवाह झूम रही थी तेजाब और तबाही बारिश में, मेरी सतरंगी छतरी भी मुस्कुराके, मेरे साथ झूम रही थी।उसकी झूमते ही उसके सातों रंग मिल मेरी दुनिया खुश-रंग भर जाती।मेरे चेहरे पे सिर्फ़ मीठे और पावन बरखा बूंदों को ही लाती,मुझे प्रेम से सहलाती,उसकी झूमते ही उसके सातों रंग मिल मेरी दुनिया खुश-रंग भर जाती!मुझे पता था,उसमें नुकीले !!! ! ! !!!!! ! ! !!! शूल कोने भीहैं जो!! किसी को!! कभी /\ अंदर. सान नहीं नुक आने कोई देंगे, मुझे कभी स्वेता जी नमन मैं रँगीली, एक अलबेली सी , पता है आज पिता जी ने बिल्कुल अपनी तरह प्यार और परवाह की रंगों से भरी हुई एक सतरंगी छतरी दिया ❤☺️_ बारिश भी तो बहुत हो रही है ना..! मैं अपनी प्यारी छतरी को ताने,