दुनिया एक पहेली है अपनी है पराई भी है "पैसे" की दीवानी है, गरीब की कब सानी है सुख भी यहाँ दुःख भी, ज़ख्म पर मरहम है स्वार्थ की मतवाली,अपने काम से ही काम है बेदर्द बड़ी है दुनिया, सिर्फ़ दर्द देना जानती है घायल कर के दिल, ज़ख़्म कुरेदना जानती है इंसान बड़ा नहीं मज़हब है,दौलत ही "रब" है मेरा पेट भरा, मुझे दूसरों से क्या? ये सब हैं "माँ-बाप" को ठुकरा कर हम, जैसे नवाब हुए पता नहीं जाने, उनके कितने ख़्वाब राख हुए दुनिया खेल तमाशा है, आज मैं राजा कल तू भूल गई मानवता, सब एक जैसे, वैसा ही है तू रमज़ान:_दुनिया (24/30) #kkदुनिया #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkr2021 #अल्फाज_ए_कृष्णा