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जब मेरे जीवन के पतझड़ में झड़ जाती है मेरी सारी चिंत

जब मेरे जीवन के पतझड़ में झड़ जाती है मेरी सारी चिंताएं,  और फिर निकलती है विचारों की कोंपले,  लगते है उसमें कविता के फूल तो मुझे भी लगता है कि मैं कहीं न कहीं एक वृक्ष हूँ।

©संyam jain #tree #Trending #viral 

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जब मेरे जीवन के पतझड़ में झड़ जाती है मेरी सारी चिंताएं,  और फिर निकलती है विचारों की कोंपले,  लगते है उसमें कविता के फूल तो मुझे भी लगता है कि मैं कहीं न कहीं एक वृक्ष हूँ।

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