आज के हालात आज के हालात, क्यों हम बदल गए। देख नज़ारा दुनिया का, क्यों हम दहल गए।। धर्म परिवर्तन की लहर चली तो,हिन्दू से मुस्लिम बन गए। जातिवाद ने कमर कसी तो,इंसान से हैवान बन गए।। ग़रीबी लाचारी की ऐसी बाढ़ आई कि उसमें बहकर चल दिये। दिया आतंक ने ऐसा साथ कि एक दूजे के प्यासे बन गए।। तोड़े फूल ऐसी डाली से कि हर किसी ने उसे चूस कर कुचल दिए। इज्जत इतनी सस्ती हुई कि हर कोई उसे बेचकर चल दिये।। जब-2 इनके विरुद्ध आवाज उठी, सब अन्यायी बन गए। देख नज़ारा दुनिया का, "सोनू जी" बोले- क्या हम सच मे बदल गए। "आज के हालात"