ज़िन्दगी बेख़ुदी में जी थी,मैंने बदहवासी पी थी। इश्क़ हवाओं पे सवार था,मोहलत ज़रा सी थी। वक़्त कमबख्त ने,तक़ाज़ों से मारा डाला मुझे, किस साहूकार से हमने उधार,ज़िन्दगी ली थी। उस चेहरे को देख,दिल बड़े जोर से धड़का था, मैंने देखा था,उन आँखों में मेरे वास्ते हया सी थी। मतलबी शहर को,मेरे गांव ने मुस्कुरा के कहा, ग़मगुसारी की रवायत,सदियों से मेरे यहाँ की थी, बूढा दरख़्त अब फल ना देता हो,छाँव तो देता है, यूं एक फ़कीर ने माँ बाप की फ़ितरत बयां की थी। #nojoto #nojotoquotes #quotesoftheday #qtd #shayri #zindagi