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साथ रहकर पता पड़ा रोज सवेरे छत पर मेरे कोयल रोया क

साथ रहकर पता पड़ा  रोज सवेरे छत पर मेरे कोयल रोया करती थी रख अक्सर कन्धे पर सर वो सोया करती थी देख आयी हु मृत्यु के पैगाम को देखा है जलते मैंने हर गली हर समसान को देख आयी हु झूठ बोलते देश के प्रधान को लाशो की ढेर लगी है हर गली हर समसान मैं कुछ तो यू ही मर गए  नेताओं के सम्मान में देखा है मैंने  वोट के लिए मरते कटते देश के हुक्मरानों को मौतों का हिसाब मांगते इन बहसी शैतानो को रोज सवेरे छत पर मेरे कोयल रोया करती थी रख अक्सर कन्धे पर सर वो सोया करती थीं

©Prateek Koyal |#poems
साथ रहकर पता पड़ा  रोज सवेरे छत पर मेरे कोयल रोया करती थी रख अक्सर कन्धे पर सर वो सोया करती थी देख आयी हु मृत्यु के पैगाम को देखा है जलते मैंने हर गली हर समसान को देख आयी हु झूठ बोलते देश के प्रधान को लाशो की ढेर लगी है हर गली हर समसान मैं कुछ तो यू ही मर गए  नेताओं के सम्मान में देखा है मैंने  वोट के लिए मरते कटते देश के हुक्मरानों को मौतों का हिसाब मांगते इन बहसी शैतानो को रोज सवेरे छत पर मेरे कोयल रोया करती थी रख अक्सर कन्धे पर सर वो सोया करती थीं

©Prateek Koyal |#poems