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कितने सर निछावर किए, कितनी दी कुर्बानियां, लहू का

कितने सर निछावर किए, कितनी दी कुर्बानियां,
लहू का कतरा कतरा बोले, इन्कलाब की बोलियां।

चंद लोगों की वजह से, देश मेरा जल रहा,
देश मेरा रो रहा, भर रहा सिसकियां।

कई दफा यह बंटा, साजिशें अभी हो रहीं,
बुद्ध जिसको हमनें दिया, दे रहा वो धमकियां।



 Challenge-102 #collabwithकोराकाग़ज़ 

47 शब्दों में अपनी रचना लिखिए :)

#कुर्बानियाँ #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba YourQuote Didi YourQuote Baba Aरिफ़ Aल्व़ी  #YourQuoteAndMine
Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️
कितने सर निछावर किए, कितनी दी कुर्बानियां,
लहू का कतरा कतरा बोले, इन्कलाब की बोलियां।

चंद लोगों की वजह से, देश मेरा जल रहा,
देश मेरा रो रहा, भर रहा सिसकियां।

कई दफा यह बंटा, साजिशें अभी हो रहीं,
बुद्ध जिसको हमनें दिया, दे रहा वो धमकियां।



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