दुश्मन को उसकी भाषा में अब यह पाठ सिखाना है 56 इंची सीने की अब तो औकात दिखाना है बांध सब्र का टूट गया ,बाज नहीं यह आता है जुगनू जैसी आंखें इसकी ,हमको आंख दिखाता है कायरता जैसी हरकत करता, शक्तिशाली बताता है गीदड़ जैसी चाले चलता, खुद को शेर बताता है ऐसे दुश्मन को उसकी भाषा में ही सब समझाना है 56 इंची सीने की अब तो औकात दिखाना है हम वीर शिवाजी के वंशज ,झांसी वाली मर्दानी थी सदियों से भारत भू के ,वीरों की अमर कहानी थी वीरों की भूमि है भारत हर घर में वीर यहां होते मातृभूमि की रक्षा में अपने पुत्रों को खो देते भारत मां को आंच ना आए यह हम सब ने ठाना है 56 इंची सीने की अब तो औकात दिखाना है चीनी वस्तु का त्याग करो अब भारतीय अपनाना है आज भी हम सब एक ही हैं दुनिया को यह बतलाना है रूखी सूखी खा लेंगे पर हम हाथ नहीं फैलाएंगे राष्ट्र की रक्षा के खातिर हम वीर शिवा बन जाएंगे शाम दाम और दंड भेद ,अब हर नीति अपनाना है 56 इंची सीने की अब तो औकात दिखाना है कलमकार- कवि विकर्ष जैन #hindichinibaybay #kavita #vikarsh #kavi