White 122 122 122 122 हुआ इश्क में हाल बतला रहा हूँ कदम दर कदम ठोकरें खा रहा हूँ बना कर खुदा इश्क में उन्हें अपना इबादत में सर ये झुकाता रहा हूँ लरजते लबो पे फसाने है बाकी में नग्मे मुहब्बत के वो गा रहा हूँ हवा की छुअन कर गई फिर दिवाना जहर हिज्र का में पिये जा रहा हूँ उजाले कि उम्मीद में किससे करता में अपना ये दिल ही जलाता रहा हूँ भरोसा किया झूठे वादों पे उनके इसी गम में आँसू बहाता रहा हूँ ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 23/6/2017 ©laxman dawani #engineers_day #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge