माँ मैं तुझे प्यार तो बहुत करता हूँ, बस तेरे लिए वक़्त नहीं निकल पाता, बड़ा आदमी बनना हैं न मुझें, तो बहुत कुछ सहना पड़ता हैं.... बहुत कुछ बर्दाश्त करना पड़ता हैं, तू समझ रही हैं न माँ.... वो बेचारी क्या समझेगी और क्या बताएगी, इतने सारे शब्द कहा से लाएगी, मैं बताती हूँ, कभी पेड़ो से मत पूछना, कि फल देने में वो क्या-क्या सहते हैं,, जिसने अपने कोख़ से अवलाद जन्मी हो , उसे मत बताना कि बर्दास्त करना किसे कहते हैं... सोचो वो कष्ट जो भीष्म पितामह को सरसैया पर मरने में हुआ था.... बदन की सारी हड्डिया एक साथ चटक जाए तो, कितना दर्द होगा.... बस वहीं दर्द तुम्हें पैदा करने में हुआ था......।।।।। manoj muntashir... ©sanjana-jp #maa,#beta #creativeminds