जिस शख्स को मैंने ताउम्र उठके सिराहने देखने की दुआ मांगी, जिस मृगतृष्णा के पीछे मैं नंगे पाओ भागी ! जिसके एक दीदार को मैंने मीलों तय कर डालीं, कल मिला वही शख्स तो मैंने नज़रे चुरालींं... क्या बताऊँ मैंने कैसे फिर अश्क़ों को रोका, सुनाई उसपे ग़ज़लें खूब, वस एक उसको न देखा ! अपने यार को उसके प्यार का मैंने कुछ ऐसे दिया तोहफ़ा, बिलकी रूह, रुके कदम -थमी धड़कन, बहे गम... ज़िंदा लाश बन आई मैं, पर मैंने मुड़ कर नहीं देखा ! #mudkrnidekha #अधुराइश्क #मोहब्बत #yकक्वोट्स