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गली में शायद कोई तो आया है।

गली में  शायद कोई तो आया है।                                                                       सुबह सुबह धुप का साया है।                                                                    और रात पर  अन्धेंरा गहरा छाया है।।                                                उसी पता चला अचानक कोई तो है।                                                 जो मेरे घर पर आया है।                                                                    हाँ अजनबी सा चेहरा।                                                                   अब वो मेरी नजरो मे धुधँला और पराया है।                                      फिर वो मुस्कुरायाँ।                                                                       और फिर बाबूजी ने मुझे उस अनजान शक्स से अवगत कराया है।।    तब जाकर मुझे कुछ याद आया है।                                                     हाँ वो मेरे बचपन का "दोस्त" है।।                                                       वो अब भी कहाँ भूला मुझें मेरे लिए पायल कि जोङी लाया है।।                                               हाँ उसी के घर से शायद आज-कल में रिश्ता आया है।।                  आज दिल उसे वर्षो बाद देखकर बहुत मुस्कुराया है।।    neetuशharmA✍ #HamariAdhuriKahani #ctl#MeriKahani #nojotoapp#poetry#notostories#amarujalanewspaper#shabdanchal#patrika#epatrika#amarujalakavya#छाया#साया#अजनबी# Satyaprem Mukesh Poonia Internet Jockey Akshita Jangid(poetess) नयनसी परमार
गली में  शायद कोई तो आया है।                                                                       सुबह सुबह धुप का साया है।                                                                    और रात पर  अन्धेंरा गहरा छाया है।।                                                उसी पता चला अचानक कोई तो है।                                                 जो मेरे घर पर आया है।                                                                    हाँ अजनबी सा चेहरा।                                                                   अब वो मेरी नजरो मे धुधँला और पराया है।                                      फिर वो मुस्कुरायाँ।                                                                       और फिर बाबूजी ने मुझे उस अनजान शक्स से अवगत कराया है।।    तब जाकर मुझे कुछ याद आया है।                                                     हाँ वो मेरे बचपन का "दोस्त" है।।                                                       वो अब भी कहाँ भूला मुझें मेरे लिए पायल कि जोङी लाया है।।                                               हाँ उसी के घर से शायद आज-कल में रिश्ता आया है।।                  आज दिल उसे वर्षो बाद देखकर बहुत मुस्कुराया है।।    neetuशharmA✍ #HamariAdhuriKahani #ctl#MeriKahani #nojotoapp#poetry#notostories#amarujalanewspaper#shabdanchal#patrika#epatrika#amarujalakavya#छाया#साया#अजनबी# Satyaprem Mukesh Poonia Internet Jockey Akshita Jangid(poetess) नयनसी परमार