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" जो बात जितनी बताई जाये बहुत कम हैं , मुख्तलिफ एह

" जो बात जितनी बताई जाये बहुत कम हैं ,
मुख्तलिफ एहसास हो ना हो इश्क में उसी का ग़म है ,
कुछ कहुं और उसे इन्कार जायज़ नाजायज करना हक़ है ,
फितरतन उसे भी कुछ एहसास हो तो कुछ बात बने बकायदा. "

                                             --- रबिन्द्र राम " जो बात जितनी बताई जाये बहुत कम हैं ,
मुख्तलिफ एहसास हो ना हो इश्क में उसी का ग़म है ,
कुछ कहुं और उसे इन्कार जायज़ नाजायज करना हक़ है ,
फितरतन उसे भी कुछ एहसास हो तो कुछ बात बने बकायदा. "

                                             --- रबिन्द्र राम 

#मुख्तलिफ #इश्क #इन्कार #जायज़ #नाजायज
" जो बात जितनी बताई जाये बहुत कम हैं ,
मुख्तलिफ एहसास हो ना हो इश्क में उसी का ग़म है ,
कुछ कहुं और उसे इन्कार जायज़ नाजायज करना हक़ है ,
फितरतन उसे भी कुछ एहसास हो तो कुछ बात बने बकायदा. "

                                             --- रबिन्द्र राम " जो बात जितनी बताई जाये बहुत कम हैं ,
मुख्तलिफ एहसास हो ना हो इश्क में उसी का ग़म है ,
कुछ कहुं और उसे इन्कार जायज़ नाजायज करना हक़ है ,
फितरतन उसे भी कुछ एहसास हो तो कुछ बात बने बकायदा. "

                                             --- रबिन्द्र राम 

#मुख्तलिफ #इश्क #इन्कार #जायज़ #नाजायज