आशिकों के दिलों में आग जला रही फिज़ा में वफा की बयार बहा रही, अल्फाजों में सनम के हाथों महबूब की मेहंदी रच रही है आवारगी को रगों मे बहा रही दीवानगी को ज़िंदगी बना रही, अल्फाजों में कविता हमें रच रही है... दो दिलों में आरजू घोल रही इश्क़ की जुबां बोल रही, अल्फाजों में मोहब्बत को जिस्मों से रूह में सींच रही है धड़कनों को समझ रही साँसों को परख रही, अल्फाजों में कविता हमें रच रही है... #World_Poetry_Day Happy #worldpoetryday आँसुओं को पी रही ज़ख्मों को ये जी रही, अल्फाज़ों में ज़िंदगी का सच कह रही है दुखों को छुपा रही