टूटकर अपनी जड़ों से फिर कहीं और जड़ें जमा लेती है तोड़ो और लगा दो कहीं भी शाखाएँ नई फिर फूट पड़ती है कुछ दिन मुरझाती है और भूल कर अपने टूटने का दर्द फिर चेतती है ... चल पड़ती है सजाने - संवारने आशियाने को नई ऊर्जा के साथ नई ज़िन्दगी जीने को हर दुःख - दर्द को अपने में समेटे सभी को सुकून की छाँव देती घर को सुख और शुभता से भर देती ... स्त्रियाँ भी कुछ कुछ इस मनी प्लांट सी होती है ना ...!!!! #selfclicked #स्त्री जहाँ पर जन्म लेती है उस घर को छोड़ एक नये घर को अपना बना लेती है .... हर किसी से अपनी तकलीफ़ छुपाकर एक स्त्री जो बस प्रेम देना जानती है ...