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भरतपुर के महाराजा सूरजमल जाट को राजस्थान का "प्लेट

भरतपुर के महाराजा
सूरजमल जाट को
राजस्थान का "प्लेटो"
कहा जाता हैं
25 दिसंबर
उनके बलिदान का
दिन है । 😊💕💕🍫🍫🙏☕☕☕☕☕☕😊😊😊😊😊😊
:
12/25, 1:27 PM
#Panchhi🐤: महाराजा सूरजमल या सूरज सिंह (फरवरी 1707 – 25 दिसम्बर 1763) राजस्थान के भरतपुर के हिन्दू जाट  शासक थे।
उनका शासन जिन क्षेत्रों में था वे वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के आगरा,अलीगढ़, इटावा, हाथरस, मैनपुरी, मथुरा, मेरठ जिले; राजस्थान के भरतपुर, धौलपुर, मेवात, रेवाड़ी जिले; हरियाणा का गुरुग्राम, रोहतक जिलों के अन्तर्गत हैं।
राजा सूरज मल में वीरता, धीरता, गम्भीरता, उदारता, सतर्कता, दूरदर्शिता, सूझबूझ, चातुर्य और राजमर्मज्ञता का सुखद संगम सुशोभित था।
मेल-मिलाप और सह-अस्तित्व तथा समावेशी सोच को आत्मसात करने वाली भारतीयता के वे सच्चे प्रतीक थे।
राजा सूरज मल के समकालीन एक इतिहासकार ने उन्हें 'जाटों का प्लेटों' कहा है।
भरतपुर के महाराजा
सूरजमल जाट को
राजस्थान का "प्लेटो"
कहा जाता हैं
25 दिसंबर
उनके बलिदान का
दिन है । 😊💕💕🍫🍫🙏☕☕☕☕☕☕😊😊😊😊😊😊
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12/25, 1:27 PM
#Panchhi🐤: महाराजा सूरजमल या सूरज सिंह (फरवरी 1707 – 25 दिसम्बर 1763) राजस्थान के भरतपुर के हिन्दू जाट  शासक थे।
उनका शासन जिन क्षेत्रों में था वे वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के आगरा,अलीगढ़, इटावा, हाथरस, मैनपुरी, मथुरा, मेरठ जिले; राजस्थान के भरतपुर, धौलपुर, मेवात, रेवाड़ी जिले; हरियाणा का गुरुग्राम, रोहतक जिलों के अन्तर्गत हैं।
राजा सूरज मल में वीरता, धीरता, गम्भीरता, उदारता, सतर्कता, दूरदर्शिता, सूझबूझ, चातुर्य और राजमर्मज्ञता का सुखद संगम सुशोभित था।
मेल-मिलाप और सह-अस्तित्व तथा समावेशी सोच को आत्मसात करने वाली भारतीयता के वे सच्चे प्रतीक थे।
राजा सूरज मल के समकालीन एक इतिहासकार ने उन्हें 'जाटों का प्लेटों' कहा है।