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आँखें है बहुत सुनी क्या मिला इस ज़िंदगी से ये और ब

आँखें है बहुत सुनी

क्या मिला इस ज़िंदगी से ये और बात है,
मेरा सफर हुआ तनहा, तन्हाई की बरसात है,

कमरें का आईना देखकर लगा मुझको,
ये आँखें है बहुत सुनी, जैसे सुना आकाश है,

भीड़ में खोता गया वजूद मेरा रोजाना,
रोज बस तुमको याद किया, यादों की ही रात है,

आँखें बंद होने तक, आँखों के बंद होने पर,
मैं जगता रहा, और खुली आँखों के सपने मुझे याद है,
तनहा शायर हूँ यश










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©Tanha Shayar hu Yash
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