वजू करें इस मिट्टी से, भाल तिलक सा मलते हैं। यह जीसस की माला सी, इसे गुरुग्रंथ सा पढ़ते हैं। यह देश एक है उपवन सा, यहाँ पुष्प अनेको खिलते हैं। कोने-कोने, गलियों कूचें, पग-पग पे अजूबे मिलते हैं। माना है मतभेद थोड़ा, मनभेद नहीं कोई कर पाया। किया धर्म और जाति अलग, नहीं हृदय अलग कोई कर पाया। हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई, सबका एक ही नारा है। हम भारत के वासी हैं, यह भारत देश हमारा है। -शशि "मंजुलाहृदय" #वजू #मिट्टी #तिलक #उपवन #हिंदुस्तान #हिन्दीकविता #मंजुलाहृदय #Hum_bhartiya_hain