Nojoto: Largest Storytelling Platform

मोक्ष एक सोपानवत प्रक्रिया है जो मौन के किसी चरण स

मोक्ष एक सोपानवत प्रक्रिया है जो मौन के किसी चरण से शुरू होती है, मौन तीन तरह का होता है 

शारिरिक मौन--- इसमें जीवन पूरा होने पर शरीर ही समाप्त, बाहृय या आंतरिक अवस्था से कोई सरोकार नहीं,इसमें संभावनायें व्यवहार के अनुसार अधपकी रह जाती है
  
मानसिक मौन--इसमें मस्तिष्क मौन धारण कर लेता है और प्रतिउत्तर की प्रतिक्रिया हेतु प्रतिक्षक बना रहता है जबतक कि मनमुताबिक परिस्थिती ना बने या बनायी जाये

 हृदयिक मौन---यह मौन का अंतिम पड़ाव है आशायें अपेक्षाओं की द्योतक नहीं रहती तो यहाँ ना उत्तर है ना प्रतिउत्तर, ना क्रिया है ना प्रतिक्रिया ना आदी ना अंत ना कोई लेनदेन सब कुछ शून्य है यहाँ कोई निकासद्वार नहीं ये मृत्यु नहीं ये मोक्ष की पहली अवस्था है यहाँ से ज्ञान का संज्ञान शुरू होता है। जो अंन्त तक जाने के लिये है क्योंकि विकास कभी उत्क्रमित नहीं होता एकदिशिय होता

©Parul Sharma #Travel 
 मोक्ष एक सोपानवत प्रक्रिया है जो मौन के किसी चरण से शुरू होती है, मौन तीन तरह का होता है 

शारिरिक मौन--- इसमें जीवन पूरा होने पर शरीर ही समाप्त, बाहृय या आंतरिक अवस्था से कोई सरोकार नहीं,इसमें संभावनायें व्यवहार के अनुसार अधपकी रह जाती है
  
मानसिक मौन--इसमें मस्तिष्क मौन धारण कर लेता है और प्रतिउत्तर की प्रतिक्रिया हेतु प्रतिक्षक बना रहता है जबतक कि मनमुताबिक परिस्थिती ना बने या बनायी जाये

 हृदयिक मौन---यह मौन का अंतिम पड़ाव है आशायें अपेक्षाओं की द्योतक नहीं रहती तो यहाँ ना उत्तर ह
मोक्ष एक सोपानवत प्रक्रिया है जो मौन के किसी चरण से शुरू होती है, मौन तीन तरह का होता है 

शारिरिक मौन--- इसमें जीवन पूरा होने पर शरीर ही समाप्त, बाहृय या आंतरिक अवस्था से कोई सरोकार नहीं,इसमें संभावनायें व्यवहार के अनुसार अधपकी रह जाती है
  
मानसिक मौन--इसमें मस्तिष्क मौन धारण कर लेता है और प्रतिउत्तर की प्रतिक्रिया हेतु प्रतिक्षक बना रहता है जबतक कि मनमुताबिक परिस्थिती ना बने या बनायी जाये

 हृदयिक मौन---यह मौन का अंतिम पड़ाव है आशायें अपेक्षाओं की द्योतक नहीं रहती तो यहाँ ना उत्तर है ना प्रतिउत्तर, ना क्रिया है ना प्रतिक्रिया ना आदी ना अंत ना कोई लेनदेन सब कुछ शून्य है यहाँ कोई निकासद्वार नहीं ये मृत्यु नहीं ये मोक्ष की पहली अवस्था है यहाँ से ज्ञान का संज्ञान शुरू होता है। जो अंन्त तक जाने के लिये है क्योंकि विकास कभी उत्क्रमित नहीं होता एकदिशिय होता

©Parul Sharma #Travel 
 मोक्ष एक सोपानवत प्रक्रिया है जो मौन के किसी चरण से शुरू होती है, मौन तीन तरह का होता है 

शारिरिक मौन--- इसमें जीवन पूरा होने पर शरीर ही समाप्त, बाहृय या आंतरिक अवस्था से कोई सरोकार नहीं,इसमें संभावनायें व्यवहार के अनुसार अधपकी रह जाती है
  
मानसिक मौन--इसमें मस्तिष्क मौन धारण कर लेता है और प्रतिउत्तर की प्रतिक्रिया हेतु प्रतिक्षक बना रहता है जबतक कि मनमुताबिक परिस्थिती ना बने या बनायी जाये

 हृदयिक मौन---यह मौन का अंतिम पड़ाव है आशायें अपेक्षाओं की द्योतक नहीं रहती तो यहाँ ना उत्तर ह
parulsharma3727

Parul Sharma

New Creator