क्यों लिखूं अपनी ख़ामोशी.. कौन पढ़ेगा.. कौन समझेगा.. कौन कहेगा तुम मेरे हो.. चुप रहना ही बेहतर है.. कुछ कहने से.. मेरे पास तो तुम आज भी हो.. चाँद बनकर.. किस्सा किसे सुनाऊं.. अब फ़िर किसे रुलाऊं.. #_ख़ामोशी