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कहीं अबीर की ख़ुश्बू कहीं गुलाल का रंग , कहीं पे

कहीं अबीर की ख़ुश्बू कहीं गुलाल का रंग ,

कहीं पे शर्म से सिमटे हुए जमाल का रंग।

©Sharique Hussain #urduadab #HoliPoetry 

#Holi
कहीं अबीर की ख़ुश्बू कहीं गुलाल का रंग ,

कहीं पे शर्म से सिमटे हुए जमाल का रंग।

©Sharique Hussain #urduadab #HoliPoetry 

#Holi