Autumn विश्व कविता दिवस 🙂 मान दिया, सम्मान दिया है फिर भी निश्चल बनी है कविता शब्दों का श्रृंगार किए है कितनी अनुपम बनी है कविता पंक्ति पंक्ति में राग पिरोती मां हिंदी की बिंदी है कविता कविता पर कविता लिखने से क्या कविता विभूषित होगी ? जाने कितने जन्म लगेंगे , तब कविता परिभाषित होगी || ©देवेश 'अनम' #autumn #kavitadivas #kavita