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ऐ सावन इतना न बरस कि बिगड़ हालात जाए। तड़प उठे हर

ऐ सावन इतना न बरस कि बिगड़ हालात जाए।
तड़प उठे हर जीव और हिल सारी कायनात जाए।
रहने दे अब थोड़ी तो आस प्राणियों में जीवन की ,
दुर्घटनाओं के देख मंजर आने लगे बुरे ख्यालात है।

©Kala bhardwaj
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