तुम मिले भी तो उस वक़्त मिले जब बढ़ चुके थे कदम मंज़िल की ओर जब बज चुकी थी ट्रेन की सिटी और कोई थाम चुका था कोई मेरा हाथ न लौट सकती थी न बढ़ सकती थी न रुक सकती थी न खुश हो सकती थी और चलना भी न था मुझे किसी के साथ। सच में रुकी ही रह गयी मैं उस पल में आज भी तुम्हारी जोगन बन के सोचती हूँ कि मिले ही क्यों मुझे सर्द रात में कोहरे सी धुंध भर दी मेरे जीवन में न छंट सकता है ना दिख सकता है सिर्फ महसूस होता और समेटें रहता यादें मेरी तुम्हारी नज़रों से बातें उफ्फ...बस करो अब ये सपनो का खेला लौट चली हूँ अब घर को बसाने अब खुद को समझाने की तुम मिले भी तो..मुझे खुद से मिलाने मुझे सच मे ज़िंदा बनाने । #nammy27 #तुममिले #yqdidi #collab